नवभारत टाइम्स | Updated: Mar 8, 2018, 08:00AM IST
वरिष्ठ संवाददाता, फरीदाबाद
बीजेपी से निष्कासित सांसद कीर्ति आजाद की ओर से संसद में पूछे गए सवाल पर मानव संसाधन मंत्रालय की तरफ से दिए गए बयान 'मैथिली भाषा सिर्फ मौखिक भाषा है' से इंडस्ट्रियल सिटी में रहने वाले मिथलांचल वासियों में गहरा रोष है। उन्होंने केंद्र के इस बयान पर नाराजगी जताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। लोगों का कहना है कि मैथिली भाषा की लिपि भी है और यह बांग्ला के अक्षरों से मिलती जुलती है।
फरीदाबाद में साढ़े तीन लाख से अधिक मिथिलांचल वासी हैं, जो वहां के अलग अलग जिलों के रहने वाले हैं। यहां रहकर भी उन्होंने मिथिलांचल संस्कृति व मैथिली भाषा को बचाए रखा है। मैथिली भाषा लिपि भी है और इसको केवल मौखिक भाषा कहे जाने की हम घोर निंदा करते है। -डॉ़ पी. के. झा, प्रेजिडेंट, मिथिला नवयुवक संघ
मैथिली भाषा की लिपि भी है। मैथलियों की आबादी करीब साढ़े चार करोड़ है। मिथलांचल वासी आपस में जो भी पत्राचार करते हैं वह मैथिली भाषा में ही करते हैं। मैथिली भाषा को केवल मौखिक कहा जाना गलत है। हम इसका विरोध करते है। मैथिली नेपाल के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है। -प्रवीन कुमार मिश्रा, प्रेजिडेंट, मिथिला दलान सेवा संघ
माता के बाद अगर किसी को दर्जा दिया जाता है तो वह मैथिली है। मैथिली भाषा हमारी रग रग में बसी हुई है। नौकरी करने के दौरान हिंदी व अंग्रेजी बोलता हूं, बाकी अपने परिवार में कुछ बोलना हो या फिर लिखना हो उसके लिए मैथिली इस्तेमाल करते हैं। मैथिली को लिपी नहीं मानने वालों को माफी मांगनी चाहिए। -कुंदन, दरभंगा बिहार
Comments -
मैथिली बोलने वालों की संख्या सिर्फ कुछ लाख हैं । अंगिका भाषा की करोड़ों की जनसंख्या को अपने में जोड़कर मैथिली बोलने वालों की संख्या को करोड़ों जनसंख्या की भाषा को कहना अंगिका और बज्जिका भाषा के साथ सरासर अन्याय है ।
मैथिली बिहार के दरभंगा, मधुबनी जिले की भाषा है । मैथिली थोड़ी बहुत सहरसा और सुपौल जिले में भी बोली जाती है । जबकि अंगिका बिहार, झारखंड, प. बंगाल के २७ जिलों में बोली जाने वाली एक ऐसी भाषा है जिसका अस्तित्व वैदिक काल से ही है । बज्जिका भाषा भी प्राचीन बज्जी देश की भाषा रही है जिसको बोलने वाले मैथिली से ज्यादा हैं । एक साजिश के तहत अंगिका और बज्जिका को मैथिली बताकर मैथिली भाषा को सारी सरकारी संरक्षण दे दी गई है । यहाँ तक कि अंगिका और बज्जिका भाषी की करोड़ों भाषा भाषी की संख्या को मैथिली भाषी की संख्या बताकर अष्टम अनुसूची में स्थान दे दिया गया । यह अंगिका और बज्जिका के साथ घोर अन्याय है । जब कि बिहार की सर्वाधिक प्रचलित करोड़ों लोगो की भाषा अंगिका को भी संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए ।
(Source : https://navbharattimes.indiatimes.com/state/punjab-and-haryana/faridabad/mange-apologize-for-maithili-speaking-oral-language/articleshow/63206036.cms)
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.