जोगीरा, होली गीत से लेकर समसामयिक मुद्दों पर कटाक्ष और व्यंग्य सहित मनोरंजन का एक विशेष साधन है. इसे समय-समय पर परिवर्तित और परिशोधित किया जाता रहा है. इसे साहित्य से लेकर बॉलीवुड गानों में अनेक तरीके से प्रयोग किया गया है.
नई दिल्लीः पूरे देश भर में होली की धूम है. जहां एक तरफ जहां शहरों में लोग डीजे की धुनों पर लोग इस रंगों के त्यौहार को मनाते हैं वहीं दूसरी तरफ गांवो में लोग जोगीरा गा के इस उत्सव का आनंद लेते हैं. शहर में बसे कई लोग जोगीरा को अश्लील मानते हैं. जबकि ऐसा नहीं है. दरअसल जोगीरा व्यंग्य या कटाक्ष का एक रूप है, जो समसामयिक मुद्दों से लेकर किन्हीं प्रासंगिक और प्राचीन कहानियों को लेकर गाया जाता है. लोग इसे होली में इसलिए गाते हैं क्योंकि जिससे लोगों को बुरा न लगे और उनकी बात सामने वाले तक भी पहुंच जाए. इसलिए होली के लिए यह विशेष कहावत भी महत्वपूर्ण है कि ‘बुरा न मानो होली है’.
दरअसल जोगीरा दो या तीन लाइनों का तुकबंदी किया हुआ छंद होता है जो ढोल और मजीरे के थाप और होली के रंगों के साथ हास्य या व्यंग्य के रूप में परोसा जाता है. इसकी कोई एक भाषा भी नहीं है. यह भोजपुरी, अवधी सहित मगही, अंगिका और मैथिली इत्यादि भाषाओं में गाया जाता है. उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाको में यह खासा प्रसिद्ध है और लोग टोली बनाकर जोगीरा को गाते हैं. कई बार इसे सवाल-जवाब के रूप में भी गाया जाता है जैसे जवाबी कौव्वाली होती है और अंत में लोग जोगीरा सा…रा…रा…रा… कहकर लोगों पर रंग और गुलाल फेकने लगते है.
आचार्य रामपलट दास को जोगीरा का एक प्रमुख साहित्यिक जनकवि माना जाता है, जिन्होंने अनेक जोगीरे लिखे हैं. उनके ही शब्दों में ‘जोगीरा की उत्पत्ति की कोई सही जानकारी नहीं है लेकिन शायद इसकी उत्पत्ति जोगियों की हठ-साधना, वैराग्य और उलटबांसियों का मज़ाक उड़ाने के लिए हुई हो. मूलतः समूह गान है. प्रश्न और उत्तर शैली में एक समूह सवाल पूछता है और दूसरा उसका जवाब देता है’. उनका एक प्रमुख जोगीरा-
चिन्नी चाउर महंग भइल,
महंग भइल पिसान,
मनरेगा क कारड ले के,
चाटा साँझ बिहान…
जोगीरा सा रा रा रा…
का करबा अमरीका जाके,
का करबा जापान,
एमडीएम के खिचड़ी खाके,
हो जा पहलवान…
जोगीरा सा रा रा…
कौन देस के लोहा जाई,
कौन देस अलमुनिया,
आ कौन देस में डंडा बाजी,
कौन देस हरमुनिया…
जोगीरा सा रा रा रा…
चीन देस के लोहा जाई,
अमरीका अलमुनिया,
आ नियामतगिरि में डंडा बाजी,
संसद में हरमुनिया…
जोगीरा सा रा रा रा…
केकरे खातिर पान बनल बा,
केकरे खातिर बांस,
केकरे खातिर पूड़ी पूआ,
केकर सत्यानास…
जोगीरा सा रा रा रा…
नेतवन खातिर पान बनल बा,
पब्लिक खातिर बांस,
अफ़सर काटें पूड़ी पूआ,
सिस्टम सत्यानास…
जोगीरा सा रा रा रा…
बॉलीवुड में भी अलग-अलग रूपों में जोगीरा का प्रयोग हुआ है. नदियां के पार से लेकर बागवन और फिर बद्री की दुल्हनिया तक बॉलीवुड ने इसे अपने सुविधानुसार प्रयोग किया है और यह खासा लोकप्रिय भी हुआ है. नदियां के पार में जहां सचिन का ‘जोगी जी धीरे-धीरे’ खासा लोकप्रिय हुआ था, वहीं दूसरी तरफ 2000 के दशक में आते-आते सदी के महानायक ने इसे हेमा मालिनी के साथ एक नया रूप दिया और ‘होरी खेले रघुबीरा’ गाना सामने आया. इस गाने को हम शुद्ध रूप से जोगीरा कह सकते हैं. हालांकि इसके बाद समय के हिसाब से जोगीरा में प्रयोग भी होने शुरू हो गए और ‘बद्री के दुल्हनिया’ में इसका आधुनिक रूप भी देखने को मिला.
(Source - https://www.inkhabar.com/national/holi-special-jogira-from-satire-to-bollywood-songs)
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.