नरेंद्र नाथ, नवभारत टाइम्स | Updated: Mar 6, 2018, 04:50PM IST
नई दिल्ली
मैथिली भाषा क्या सिर्फ मौखिक भाषा है या इसकी लिपि भी है? इस मुद्दे पर विवाद तेज हो गया है। विवाद केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में दिए गए एक जवाब के बाद शुरू हुआ है। बीजेपी से निष्कासित सांसद कीर्ति आजाद की ओर से पूछे गए सवाल पर मानव संसाधन मंत्रालय ने कहा कि मैथिली भाषा मौखिक भाषा ही रही है और मैथिली के लिए आधिकारिक सूचना और पाठ्य-पुस्तकें देवनागरी लिपि में में लिखी गई हैं अौर इस भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कोई योजना नहीं है। मैथिली भाषामूल रूप से बिहार के मिथिलांचल में बोली जाती रही है।
इस जवाब पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कीर्ति आजाद ने कहा कि यह सरासर मैथिली का अपमान है। उन्होंने कहा कि मैथिली की लिपि भारत की सबसे पुरानी लिपि में रही है और अभी भी पढ़ाई से लेकर लेखन में इसका उपयोग हो रहा है। ऐसे में मैथिली लिपि को खारिज कर देना देश की सबसे पुरानी भाषा का अपमान है।
मैथिली लिपि में होती रही है परीक्षा
सरकार के जवाब के उलट मैथिली की अपनी लिपि अभी भी प्रचलित है। हालांकि, मैथिली को देवनागरी में भी लिखा जाता रहा है लेकिन तमाम जगहों पर मैथिली लिपि में लिखने का विकल्प आज भी है। बिहार बोर्ड की परीक्षा में भी देवनागरी से मैथिली लिपि में लिखने से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं।
(Source : https://navbharattimes.indiatimes.com/india/center-said-maithili-only-spoken-language-kirti-azad-raised-question/articleshow/63186731.cms)
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