इंटर के पाठ्यक्रम में शामिल हो अंगिका - जागरण
बांका, १ नवंबर,२०१६। बिहार में अंगिका भाषा की सरकारी उपेक्षा से अंगिका भाषा भाषी पूर्व से आहत हैं।सरकार ने कागजी तौर पर भले ही दो साल पूर्व अंगिका अकादमी गठन की घोषणा के साथ अध्यक्ष का मनोनयन कर दिया। लेकिन, दो साल बाद भी अंगिका की दिशा व दशा में कोई सुधार नहीं हुआ। अब खुद अंगिका अकादमी के अध्यक्ष लखन लाल आरोही ने इस संबंध में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर को पत्र लिखा है। इस पत्र में आरोही ने बोर्ड अध्यक्ष से इंटर के पाठ्यक्रम में अंगिका को शामिल कराने की मांग की है। अध्यक्ष ने कहा कि इंटर के छात्र दो अनिवार्य भारतीय भाषा पढ़ते हैं। इसमें उर्दू, संस्कृत के साथ पाकृत, मगही, मैथिली, भोजपुरी आदि भी शामिल है। लेकिन, अंगिका को आज तक इससे दूर रखा गया है। उन्होंने बिहार के कई जिलों में अंगिका भाषा भाषी की बड़ी तादाद होने के कारण इस भाषा के विकास के लिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की है। अध्यक्ष श्री आरोही ने कहा कि भागलपुर विश्वविद्यालय अंगिका की महत्ता को समझ पिछले कई साल स्नातक और स्नातकोतर स्तर पर इसकी पढ़ाई करा रहा है। इसकी डिग्री पर छात्रों को नौकरी मिल रही है, लेकिन, इंटर स्तर पर ही इस भाषा को छात्रों से दूर रखना वाजिब नहीं है। उन्होंने बताया कि पड़ोसी झारखंड सरकार ने भी अंगिका को प्रतियोगी परीक्षा के साथ कक्षा में पढ़ाई में शामिल कर लिया है। जबकि, अंग प्रदेश का मुख्य इलाका ही अंगिका की शिक्षा से वंचित है।
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