ग्रामीण क्षेत्रों में बजने लगे शारदा सिन्हा के छठ गीत
अररिया। लोक आस्था का महापर्व छठ की तैयारी नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र सहित भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में जहां मनाएं जाने की तैयारी चल रही है। वहीं छठ पर्व पर सूर्यदेव एवं छठी माता से जुड़े मैथिली अंगिका भोजपुरी भाषा के गीतों की क्षेत्र में धूम मची है । इसके साथ ही छठ पर्व को लेकर महानगरों से लेकर विदेशों तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली लोक गायिका पद्मश्री शारदा सिन्हा की चर्चा करना यहां लाजिमी हो गया है । यूं तो छठ पर्व प्राचीन काल में भी हुई थी ¨कतु कालांतर में मिथिला लोक संस्कृति में शामिल होने के साथ ही जब गीतों के माध्यम से स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के सुर बिखरे तो यह धीरे धीरे महापर्व के रूप में बदल गया । हालात यह है कि पूरे बिहार सहित अन्य राज्यों में भी निष्ठा के साथ छठ पर्व मनाया जा रहा है । अन्य पर्वों के मुकाबले यह पर्व काफी खर्च वाला होता है । यूं तो कई गायक गायिका ने छठ पर्व के गीत गाए हैं ¨कतु शारदा सिन्हा के गीत के बिना छठ पर्व का मिठास अधूरा रह जाता है । उनके द्वारा गाए गीत के बोल कांच ही बांस के भंगिया भंहगी लचकत जय , केलवा के पात पर उकेलन सुरुज देव, उगह हो सुरुज देव अरघ के बेर, कौन संकट पड़ल तोरा हो दीनानाथ आदि ग्रामीण संस्कृति का हिस्सा बन गया है । यह गीत महिलाओं के जुबान पर है । कुछ साल पहले दीपावली के साथ ही चाय पान होटलों आदि में शारदा सिन्हा का गीत जमकर बजाया जाता था, ¨कतु इंटरनेट के जमाने में 4 जी मोबाइल के आने के बाद धीरे धीरे ध्वनि विस्तारक यंत्र का दायरा सिमटता गया। ¨कतु ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी पुरानी परंपरा ¨जदा है । मेमोरी कार्ड के जरिये अब भी गांव में छठ के गीत खूब बजते हैं ।
(http://www.jagran.com/bihar/araria-chatt-puja-16894684.html)
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