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Tuesday, 28 March 2017

सुप्रिया सिंह वीणा ने साहित्यिक गोष्ठी में अंगिका गीत से बांधा समां

कविता और शेरो-शायरी से बांधा समां - नवभारत टाइम्स

गाजियाबाद, २८ मार्च,२०१७ : वैशाली सेक्टर-4 स्थित मनोरम सेंट्रल हॉल में रविवार शाम 'पेड़ों की छांव तले रचना पाठ' की 30वीं साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन हुआ। चीफ गेस्ट और अन्य कवियों ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम में कवियों ने गीत, कविता और शेरो-शायरी से समां बांध दिया। गोष्ठी का संचालन कवि अवधेश सिंह ने किया।

सुप्रिया सिंह वीणा ने झारखंड के उत्तर पूर्वी भागों में बोली जाने वाली अंगिका भाषा में गीत सुनाते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने आपनों मनों के तोंय मालिक बनी रहों सदा, दोसरा के मालिक ने बनाबों रे बटोहिया गीत सुनाकर सभी की तालियां बटोंरी। ईश्वर सिंह तेवतिया ने नई युवा पीढ़ी पर तंज कसते हुए कहा कि 'नहीं बोझ सा हमको देखो, सच को तो स्वीकार करो तुम, उपकारों का भार उतारो, फिर कोई उपकार करो तुम, सब जज़्बात ताक पर रख दो, करो चलो व्यापार करो तुम, नहीं फर्ज का प्रश्न कोई भी, चुकता सिर्फ उधार करो तुम'। गजलकार मृत्युंजय साधक ने कहा कि 'उम्मीदों का जल मिल जाए, तो फिर चैन मिले, जीवन की बगिया खिल जाए, तो फिर चैन मिले, रिश्तों में संदेहों के जम कर बैठे पत्थर, ये पथरीला पन हिल जाये तो फिर चैन मिले' सुना कर सभी को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम में चीफ गेस्ट प्रख्यात गीतकार डॉ. राधेश्याम बंधु ने गीत व गजल सुनाए।

इस दौरान कृष्ण मोहन उपाध्याय, अवधेश सिंह, डॉ. वरुण कुमार तिवारी, रणवीर सिंह अनुपम, शैल भधावरी, प्रमोद मनसुखा, अवधेश सिंह, डॉ. वरुण कुमार तिवारी, संजय मिश्र, संजीव ठाकुर, अनीता सिंह, श्रेया मिश्रा आदि कवि मौजूद रहे।

(http://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/ghaziabad/poetry-and-jammed-packed-with-shero-poetry/articleshow/57857810.cms)

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